बड़े काम की छोटी झपकी

बड़े काम की छोटी झपकी

के. संगीता

दोपहर को या काम के दौरान बीच में ली जाने वाली छोटी सी नींद को पॉवर नैप यानी झपकी कहा जाता है। यह जानना रूचिकर है कि 65 प्रतिशत स्‍तनपायी (मैमल्‍स) जिनमें मनुष्‍य भी शामिल हैं, वास्‍तव में पॉलिफेजि़क है यानि वे दिन भर में छोटी अवधियों में सोते हैं। हम मनुष्‍यों ने अपने दिन को दो भागों में बांट दिया है। इसी के अनुसार हम रात में सोते हैं और दिन में जगे हुए रहते हैं। रात में पूरी नींद न ले पाने या कम सोने की स्थिति में दोपहर में झपकी लेने से हम अपनी नींद की कमी को पूरा कर सकते हैं। स्‍लीप एक्‍सपर्ट और 'टेक अ नैप’ पुस्‍तक की लेखिका सारा सी मैडनिक के अनुसार दिन में झपकी लेने से नींद की कमी जैसी समस्‍याओं का उपचार किया जा सकता है।

 

पावर नैपिंग के लाभ

कार्य शक्ति और सक्रियता का बढ़ना

30 मिनट की झपकी से सजगता और कार्य करने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है यहां तक कि इससे सभी प्रकार के कार्यों में प्रतिक्रिया के समय में भी बढ़ोतरी होती है।

याद्दाश्‍त में सुधार और सीखने की क्षमता का बढ़ना

याद्दाश्‍त में सुधार और सीखने की क्षमता को बढ़ाने की अपनी योग्‍यता के कारण पावर नैप से संबंधित कई अध्‍ययन भी किए गए हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि 6 से 10 मिनट की छोटी सी झपकी भी व्‍यक्ति की सजगता, सक्रियता और उसकी सीखने की योग्‍यता को प्रभावित करती है।

ह्दय के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार

यदि आपको पता चले कि एक ऐसा कारगर तरीका है जो आपके रक्‍तचाप को कम कर सकता है और दवाईयों पर आपकी निर्भरता को कम कर सकता है तो निश्‍चय ही आप उसे अपनाना चाहेंगे। झपकी आपके दिल के स्‍वास्‍थ्‍य को सही रखने के लिए यह काम भी करती है। दोपहर में सोने वाले का न केवल रक्‍तचाप कम होता है अपितु यह उच्‍च रक्‍तचाप से धमनियों और दिल को होने वाले नुकसान के जोखिम को भी घटाती है।

कोशिकाओं को होने वाले नुकसान की रोकथाम

हम सभी उस नुकसान से परिचित हैं जो नींद न आने या कम नींद लेने से जुड़ा हुआ है। इससे हम न केवल अपना ध्‍यान केन्द्रित कर पाते हैं बल्कि चिड़चिड़ाने भी लगते हैं। इसके अलावा इससे हमारे शरीर की कोशिकाओं (सेलुलर लेवल) का स्‍तर तक प्रभावित होता है। वास्‍तव में नींद की कमी कोशिकाओं को हानि पहुंचाती है और खास तौर पर लिवर, फेफड़ों और छोटी आंत की कोशिकाओं पर बुरा असर डालती है। ऐसे में झपकी इस नुकसान को पूरा करने का काम करती है।

तनाव से राहत और प्रतिरक्षा तंत्र (इम्‍यूनिटी) को बढ़ाना

रक्‍तचाप को कम रखने के अलावा यह पाया गया है कि दोपहर की नींद तनाव को कम करने, हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को दुरुस्‍त रखने में भी सहायक हैं। ऐसा नोरेपाईनेफ्राइन के स्‍तरों के कारण हो सकता है। नोरेपाईनेफ्राइन एक हारमोन और न्‍यूरोट्रांसमीटर है जो हमारी ‘फाईट अथवा फ्लाइट’ संबंधी प्रतिक्रिया में अहम भूमिका निभाता है। एक अध्‍ययन के अनुसार सीमित नींद लेने वाले व्‍यक्तियों में यह 2.5 गुना तक बढ़ जाता है। वे व्‍यक्ति जो झपकी लेते हैं उनके नोरेपाईनेफ्राइन स्‍तर में कोई बदलाव नहीं होती है।

मूड में सुधार

यूं तो हम सबको झपकी लेना अच्‍छा लगता है परंतु अब विज्ञान भी नैपिंग के ‘फील गुड’ प्रभाव को मानने लगा है। दरअसल झपकी हमारे मानसिक और काग्‍नेटिव स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार लाती है। बुजुर्गों में यह निराशा और भ्रम को भी कम करती है जबकि व्‍यस्‍कों में यह समन्‍वय और प्रतिक्रिया के समय को बढ़ाने की शक्ति है।

नैपिंग के इन्‍हीं फायदों को देखते हुए कई आधुनिक कंपनियों से अपने कर्मचारियों पर नैप लेने से होने वाले सकारात्‍मक प्रभाव पर विचार करना शुरू कर दिया है और इसके अनुसार काम की व्‍यवस्‍था करना भी शुरू कर दिया है।

 

एक अच्‍छी और तरोताजा कर देने वाले पावर नैपिंग के भी कुछ नियम होते हैं।   

नियम 1: पावर नैपिंग सबके लिए नहीं है।

हम सब में से बहुत से व्‍यक्ति ऐसे हैं जिन्‍हें झपकी से बचना चाहिए। ऐसे व्‍यक्तियों के लिए जो अनिद्रा से पीडि़त हैं या जिन्‍हें रात में पूरी नींद लेने में मुश्‍किल होती है, झपकी लेना बुरा हो सकता है। इससे हमारे शरीर की जैविक घड़ी बिगड़ती है और पहले से ही खराब चल रहा रूटीन और बिगड़ सकता है।  

 

नियम 2: नैपिंग की अवधि

सफलतापूर्वक झपकी लेने में अवधि की बहुत बड़ी भूमिका है। ज्‍यादा देर झपकी लेने से व्‍यक्ति गहन निद्रा (sleep inertia) में चला जाता है जिससे जागने पर वह बहुत थका हुआ महसूत करता है और साथ ही नींद की खुमारी भी बनी रहती है। बहुत ही कम देर की झपकी आपके लिए काफी नहीं होती है। 10 से 20 सेकेंड की नैनो नैप से कंधों पर होने वाले तनाव से राहत मिलती है। 2 से 5 मिनट की माइक्रो नैप आपके आलस्‍य को दूर करके आपको तरोताजा बनाती है। 5 से 18 मिनट की झपकी से व्‍यक्ति की कार्यक्षमता और सतर्कता बढ़ती है। 20 मिनट की झपकी को पावर नैप कहा जाता है। पावर नैप लेने वाले व्‍यक्तियों को माइक्रो और मिनी दोनों का लाभ मिलता है इससे उसकी मांसपेशियां अधिक समय तक कार्य कर सकती है, इससे याद्दश्‍त तेजी होती है और यह दिमागी थकान को भी दूर करती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि झपकी को  नींद के चरण 1 (स्‍वयं को बहुत हल्‍का महसूस करना) से चरण 2 (मस्तिष्‍क के काम का धीमा हो जाना)। तक ही सीमित रखना चाहिए। अधिकतर व्‍यक्तियों में यह प्रक्रिया 15 से 20 मिनट तक की होती है।

नियम 3: झपकी का समय

एक सफल पावर नैप लेने के लिए उसके लिए चुना गया समय बहुत महत्‍व रखता है। दोपहर के भोजन के बाद और 3 बजे से पहले झपकी लेना सबसे लाभदायक माना जाता रहा है। अधिकतर व्‍यक्तियो को लंच लेने के बाद ध्‍यान केन्द्रित करने में परेशानी होती है। 3 बजे के बाद की झपकी आपकी रात की नींद गायब कर सकती है। फिर भी 1 बजे से लेकर 4 बजे के दौरान झपकी लेने का उपयुक्‍त समय है।

नियम 4: अपनी झपकी के लिए सही स्‍थान चुने

जी हां, आपको अपनी नैप के लिए सही स्‍थान का चुनाव करना भी महत्‍वपूर्ण है। इसके लिए ऐसे स्‍थान का चयन करे जहां आपको कोई परेशान न करे। यदि आप लेट सकते हैं तो बहुत ही अच्‍छा है, यदि नहीं तो चिन्‍ता न करें। आप किसी आरामदायक कुर्सी या रिक्‍लाइलिंग वर्क चेयर का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। बाहरी आवाजों से बचने के लिए आप कानों में हेडफोन लगा सकते है। ऐसा करने से आपका कोई सहयोगी आपको छेड़ेगा भी नहीं।

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